Rupak Alankar Kise Kahate Hain

Rupak Alankar Kise Kahate Hain: रूपक अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए

रूपक अलंकार: Rupak Alankar Kise Kahate Hain

नमस्कार मित्रों! यदि आप हिंदी भाषा या हिंदी व्याकरण में रुचि रखते हैं, तो आपने अवश्य ही अलंकार के विषय में पढ़ा होगा। अलंकार हिंदी व्याकरण के अंतर्गत एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है, और इसके विषय में गहन जानकारी होना आवश्यक है। क्या आप जानते हैं कि रूपक अलंकार क्या होता है? यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।

Rupak Alankar Kise Kahate Hain: रूपक अलंकार क्या होता है?

बहुत से लोगों के मन में यह जिज्ञासा होती है कि रूपक अलंकार का वास्तविक अर्थ क्या है। यह हिंदी व्याकरण के अंतर्गत अलंकार का एक विशेष प्रकार है। रूपक अलंकार का सार यह है कि जब उपमेय और उपमान के गुणों में इतनी अत्यधिक समानता होती है कि उपमेय को ही उपमान मान लिया जाता है, तब रूपक अलंकार का निर्माण होता है। इसे इस प्रकार भी समझा जा सकता है कि जहां दो व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच इतनी समानता हो कि उनमें भेद कर पाना कठिन हो जाए, वहां रूपक अलंकार होता है।

रूपक अलंकार की परिभाषा और उदाहरण: Rupak Alankar Kise Kahate Hain

परिभाषा:
जब गुणों की अत्यधिक समानता के कारण उपमेय को ही उपमान घोषित कर दिया जाता है, तो इसे रूपक अलंकार कहा जाता है।

उदाहरण:

  1. चरण – कमल बंदौ हरि राई
    यहाँ पर भगवान हरि के चरणों को कमल के रूप में प्रस्तुत किया गया है। अतः यहां रूपक अलंकार है।
  2. मैया मैं तो चंद्र – खिलौना लैहों
    यहाँ खिलौने (उपमेय) को चंद्रमा (उपमान) का रूप दिया गया है। इसलिए यहाँ रूपक अलंकार है।

रूपक अलंकार के भेद: Rupak Alankar Kise Kahate Hain

रूपक अलंकार के तीन प्रमुख भेद होते हैं: Rupak Alankar Kise Kahate Hain

  1. सांगरूपक
    इसमें उपमेय के अंगों या अवयवों पर उपमान के अंगों या अवयवों का आरोप किया जाता है।

    उदाहरण:
    “उदित उदयगिरि मंच पर, रघुवर बाल पतंग।
    विकसे सन्त सरोज सब, हरषै लोचन भृंग॥”
    यहाँ उपमेय के अंगों पर उपमान के अंगों का आरोप स्पष्ट है।

  2. निरंग-रूपक
    जिसमें उपमेय पर उपमान का आरोप होता हो, किंतु अंगों का आरोप न होता हो, उसे निरंग रूपक कहते हैं।

    उदाहरण:
    “हैं शत्रु भी यों मग्न जिसके शौर्य पारावार में।”
    यहाँ शौर्य का उपमेय पर बिना अंगों के आरोप स्पष्ट है।

  3. परम्परित-रूपक
    यह वह रूपक है, जिसमें एक आरोप दूसरे आरोप का कारण होता है।

    उदाहरण:
    “महिमा-मृगी कौन सुकृति की, खल-वच-विसिख न बाँची?”
    यहाँ महिमा के आरोप का कारण सुकृति की महानता है।

निष्कर्ष

इस लेख के माध्यम से हमने रूपक अलंकार के विभिन्न पहलुओं को विस्तृत रूप से समझा। हमने इसकी परिभाषा, उदाहरण, और भेदों पर चर्चा की है। हमें आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी और आपके हिंदी व्याकरण के ज्ञान को समृद्ध करेगी। यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो कृपया इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें और अपने विचार हमें कमेंट के माध्यम से अवश्य बताएं। Rupak Alankar Kise Kahate Hain

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